बधाई हो का ट्रेलर कोई आम ट्रेलर नही है। उम्र के लगभग आखिरी पड़ाव पे पहुंचा एक बाप अपने बेटों को फिर से बाप बन जाने की बात बोलने की जो ज़बरदस्त कोशिश कर रहा है वहाँ से जो आपकी हंसी शुरू होती है तो फिर पुरे ट्रेलर में आप की हंसने की ताकत को जैसे निर्देशक निचोड़ लेता है।
नीना गुप्ता ने क्या ज़बरदस्त अभिनय किया है फ़िल्म में जो ट्रेलर में भी दिख रहा है। सकपकाए झल्लाए बेटे के रंग में आयुष्मान खूब रंगे हैं। लेकिन हमारे आस पास के समाज में अक्सर हो जाने वाली ऐसी घटना को निर्देशक ने क्या रोचक ढंग से सबके सामने रखा है वो इस ट्रेलर में दिख रहा है।
ऐसा अक्सर होता है के ट्रेलर जितना काबिल हो फ़िल्म उतनी नालायक होती है। लेकिन कम से कम इस ट्रेलर को देखकर आपको लगता है के ये फ़िल्म शायद आयुष्मान की झोली में एक और सुपरहिट बनकर गिरेगी।
ट्रेलर में संवादों ,घटनाओं और सारे पात्रों के हाव भाव का एक ही मकसद है - आपको हँसाना। इसमें ये कामयाब ट्रेलर है। ट्रेलर का पहला और आखरी मकसद होता है के आप फ़िल्म की तरफ आकर्षित हों मेरा मानना है के इस मापदंड पर इक्कीस साबित हुआ है।
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