द नन मशहूर फ़िल्म द कॉन्ज्युरिन्ग का पूर्व से भी पूर्व भाग है। जो भी इसका मतलब हो उसपे आप ज़्यादा सर न लगायें। कुल मिला कर ये एक नयी कहानी है जिसका अंत एक कॉन्ज्युरिन्ग फ़िल्म के आरंभ से जुड़ा है।
फ़िल्म एक घने जंगल के बीच सुनसान पहाड़ियों में बसे एक चर्च पर आधारित है जिसपे एक बड़ी शैतानी ताकत वलक कब्ज़ा करने की फ़िराक में है और यहीं से पूरी दुनिया पे वो हुकूमत करेगा।
तीन लोग मिलकर इस शैतान से चर्च को आज़ाद कराते हैं और इस बीच में वो सब होता है जो यहाँ हिंदुस्तान में राम गोपाल वर्मा और विक्रम भट्ट सात सौ सत्तावन बार अपनी हॉरर फिल्मों में दिखा चुके हैं। इनमे से एक का नाम वी आई पी कंपनी के मशहूर कच्छे पर आधारित है - फ्रेंची।
फ़िल्म में कुछ दृश्य आपको थोड़ा बहुत डराते हैं लेकिन ज़्यादातर समय ये ९६ मिनट की फ़िल्म भी आपको पकाती ही है। बाकी कहानी में थोड़ा सा नयापन डालने की कोशिश ये भी की गयी के एक चर्च के अंदर ही शैतान भी रह रहा है। लेकिन निर्देशन इतना घटिया है के अगर तकनीकी महानता को हटा दिया जाए तो ये फ़िल्म किसी रामसे बंधुओं की फ़िल्म से कोई बहुत अलग नही है।
अगर थोड़ी देर घर से बाहर सस्ते ऐ सी में सोने का इरादा है तो ज़रूर देखें बाकी इससे बेहतर हॉरर कॉमेडी बॉलीवुड की स्त्री है !
एक स्टार क्यूंकि फ़िल्म एक दूर देश से बन के आयी है और हमारी सभ्यता में मेहमानों की बेइज़्ज़ती नही करते !
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