आप निर्देशक की हिम्मत और ईमानदारी की शायद दाद देना चाहेंगे , इस फ़िल्म के ट्रेलर से घटियापन और बोरियत टपक टपक कर बह रही है। फिर भी साजिद अली ने काबिल-ऐ-तारीफ बेमिसाल बहादुरी का परिचय देते हुए ये ट्रेलर रिलीज़ किया है। आप इस फ़िल्म को देख के बंसाली की सांवरिया देखिये आप के सारे शिकवे बंसाली से दूर हो जायेंगे।
कुल मिला कर पूरी फ़िल्म में खानदानी दुश्मनी के दरमियान उभरी प्रेम कहानी है। शायद अंत में पुरानी प्रेम कहानियों की तर्ज़ पर प्रेमी जोड़े का मरना भी तय दिख रहा है। १२४ सेकंड के इस ट्रेलर को मैं कुछ बासठ सेकंड के बाद बंद कर देना चाहता था पर मजबूरन देखा। अब सोचिये के जो दो घंटे से ऊपर की फ़िल्म झेलने जायेंगे उनकी आँखों से कितने आंसूं टपकेंगे। उन दर्शकों से ज़्यादा शायद एकता कपूर के आंसूं टपकेंगे। वैसे भी ऐसी कहानी को हाथ लगाने के लिए एकता कपूर ने सोचा क्या था वो जानना ज़रूर दिलचस्प होगा।
ट्रेलर में एक ऐसी बात एक संवाद एक घटना ऐसी नही जो आपको फ़िल्म देखने की तरफ सोचने भी दे देखना तो दूर की बात है। कुल मिला कर ये ट्रेलर बहुत से समझदारों को बचा चुका है। अगर आप जेब खर्च के लिए पैसे बनाना चाहते हैं तो इस फ़िल्म की रिलीज़ के दिन सर दर्द की गोलियां ले के थिएटर के बहार मौजूद रहें , मेरी गारंटी है के ब्लैक में बिकेंगी !
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