हैप्पी फिर भाग जाएगी एक ऐसी फ़िल्म है जो आपको थोड़ी देर के लिए ही सही अपनी परेशानियां भुला कर हँसाती है। फ़िल्म की कहानी ऐसी नही है के आप दांतो तले उंगली दबा लें। लेकिन निर्देशक ने एक अच्छी कहानी को कॉमेडी के मसाले में भिगो कर पेश किया है। अगर आप अपनी उम्मीदों को थोड़ा काबू में रख के इस फ़िल्म को देखें तो कई जगह ये फ़िल्म आपसे थोड़ी वाह वाह भी करवा लेगी।
कहानी यूं है के एक ही दिन चीन के एक बड़े शहर के एयरपोर्ट पर दो हैप्पी आतीं हैं और दोनों एक दूसरे की पहुँचने वाली जगहों पर पहुँचती हैं। इसके बाद कहानी कई मोड़ घूमती है और नयी हैप्पी पुरानी हैप्पी की मदद से अपनी मंज़िल पा लेती है।
फ़िल्म की सबसे बड़ी खूबियाँ दो हैं एक हैं इसके नए पात्र जिनमे सबसे आगे हैं सोनाक्षी सिन्हा , सोनाक्षी को जितनी मीडिया से तारीफ़ मिलती है वो उससे थोड़ा बेहतर ही अभिनेत्री हैं और इस फ़िल्म में भी उन्होंने अंदर से डरी और परेशान लेकिन ऊपर से जुझारू हैप्पी का किरदार बहुत अच्छे ढंग से निभाया है। कॉमेडी के पल और भावनात्मक दृश्य उन्होंने बड़े अच्छे ढंग से निभाए हैं। जस्सी गिल ने खुशवंत सिंह नाम के एक बड़े दिल वाले सिख का अभिनय किया है और कॉमेडी पर उनकी पकड़ भी अच्छी दिखी है।
फ़िल्म की दूसरी बड़ी ख़ूबी है के तरह तरह के घुमाव और घटनाओं के बीच जिस तरह से कॉमेडी बाहर आती है मसलन वो हिस्सा जब बग्गा और आफरीदी को चीन की जेल के अंदर जाकर पता चलता है के जेलर एक महिला है और इससे एक ज़बरदस्त कॉमेडी का दृश्य सामने आता है।
लेकिन एक बार फिर फ़िल्म को असली मज़ा आता है आफ़रीदी और बग्गा की जोड़ी से , पियूष मिश्रा और जिमी शेरगिल ने एक बार फिर रंग जमाया है। ख़ास तौर से बग्गा का बार बार तेरा भाई कहना और आफ़रीदी का झुंझलाना फ़िल्म को अलग रंग देता है।
फ़िल्म पैसा वसूल है और इसलिए मेरी रेटिंग इस फ़िल्म के लिए साढ़े तीन स्टार।
No comments:
Post a Comment